इस गिरावट का मुख्य कारण अमेरिका में रोजगार के मजबूत आंकड़ों के चलते फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में शीघ्र कटौती की उम्मीदों का धूमिल होना है, जिससे वैश्विक बाजारों में नकारात्मक रुझान देखा गया। इसका प्रभाव भारतीय बाजार पर भी पड़ा, जिससे चौतरफा बिकवाली हुई।
बीएसई में 4,248 कंपनियों के शेयरों में कारोबार हुआ, जिनमें से 3,562 में गिरावट, 555 में तेजी और 131 में कोई बदलाव नहीं हुआ। सभी 21 सेक्टोरल इंडेक्स में गिरावट दर्ज की गई, जिसमें रियल्टी (6.59%), कमोडिटीज (3.69%), कंज्यूमर ड्यूरेबल्स (4.04%) और ऊर्जा (2.42%) प्रमुख रहे।
मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में भी क्रमशः 4.17% और 4.14% की गिरावट आई, जिससे छोटे और मझोले निवेशकों को significant नुकसान हुआ।
वैश्विक बाजारों में भी नकारात्मक रुझान देखा गया। ब्रिटेन का एफटीएसई 0.39%, जापान का निक्केई 1.05%, हांगकांग का हैंगसेंग 1.00% और चीन का शंघाई कंपोजिट 0.25% गिरावट के साथ बंद हुए।
इस गिरावट के चलते निवेशकों की संपत्ति में लगभग ₹13 लाख करोड़ की कमी आई है, जिससे बाजार में चिंता का माहौल है।
विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक आर्थिक संकेतकों और केंद्रीय बैंकों की नीतियों पर नजर रखना आवश्यक है, क्योंकि ये बाजार की दिशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करें और बाजार की अस्थिरता के मद्देनजर सतर्कता बरतें।
Leave a Reply